पंचायत चुनाव की प्रासंगिकता और जनपद #रायबरेली विशेषांक
खरी-खरी ! पंचायत स्तरीय स्थानीय निकाय चुनाव के सभी प्रत्याशियों को उनके उद्देश्य(तथाकथित सेवक)बनने की शुभकामनाएं।चूंकि आप सभी एक व्यक्ति मात्र नही बल्कि सामूहिक नेतृत्व में संविधान सम्मत 'गांव सरकार' की आधारशिला हैं।लेकिन खेद इस बात का है कि अभी तक गांव सरकार की संकल्पना चरितार्थ ही नही हो पाई, चूंकि 'ब्लाक प्रमुख' और 'जिला पंचायत अध्यक्ष' निवेश की विषय वस्तु हैं अभी तक मतलब ये दोनों पद खरीददारी का खुला बाजार हैं।और इस सच को सरकारें ही नहीं बल्कि जनता-जनार्दन भी भली भांति जानती है। महिमामंडित तथाकथित समाजसेवी, वर्चस्वी नामी-ग्रामी,प्रभुता संपन्न लोग संविधान सम्मत चुनावी आरक्षण व्यवस्था पर भारी पड़ते हैं जब प्रत्यासी प्यादे होते हैं शतरंज के मोहरे होते हैं।मजे की बात तो यह है कि यहां आरक्षण के पात्रों /समर्थकों के "मुंह में दही जम जाता है" उनका हलक 'हलाहल' हो जाता है,घिघ्घी बंध जाती है,बंधक व्यवस्था के सूत्रपात सिद्ध हो जाते हैं। खैर जो है सो है के भाव में राजनैतिक चर्चा में महिमामंडित और केन्द्र में भी केन्द्रित जनपद #रायबरेल...