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मनभावन पावन 'राखी'

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रिश्ते-नाते हमारे जन्म से पहले  जीवन के बाद  और जीवन के साथ -साथ अपरिहार्य रूप से विद्यमान रहते हैं ।चूंकि समाज संबधों की एक व्यवस्था है कहने का आशय यह है कि जहां संबध हैं वहां समाज है,संबधों का वर्गीकरण किया जा सकता है लेकिन मूलतः रक्त संबंध और गैर रक्त व्यवहारिक संबध प्रमुख वर्गीकरण है रक्त संबंध को प्रदत्त और गैर रक्त को अर्जित संबंधों के रूप में समझा जा सकता है।    सामाजिक त्यौहारों की एक वृहद श्रंखला है और सभी का सामाजिक बहुतार्किक सरोकार है।इसी कड़ी में है हमारा त्यौहार 'राखी'/रक्षाबंधन,यह त्यौहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है,बहनें भाइयों की कलाई में अपना प्यार बांधती हैं अपनी अपेक्षाएं कच्चे धागे के जरिए कहती हैं अपनी अस्मिता की रक्षा का भार सौंपती है और भाई ताउम्र उक्त जज्बातों का ख्याल एवं पावन रिश्ते की गरिमा के लिए संकल्पित होते हैं,मजे की बात तो यह है कि यह सब संवाद मन ही मन में होता सदा सामर्थ्य समर्थ शब्दों की प्रासंगिकता गौड़ हो जाती है, देश में आवागमन का मय अति उत्साहित उत्सवित माहौल छा जाता है,भाइयों को बहनों का और बहनों को भाईय...