।।मत भूलो जनाब यह भारत की मिट्टी है,तुम्हारी नापाक औकात बहुत सस्ती है ।।
खेल , नियमों द्वारा संचालित होने वाली एक प्रतियोगी श्रंखला है। ... सामान्यतः खेल को एक संगठित, प्रतिस्पर्धात्मक और प्रशिक्षित शारीरिक/मानसिक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जा सकता है,खेल हमें प्रतिबद्धता तथा निष्पक्षता सिखाता है,जीवन में अधिक अनुशासित, धैर्यवान, समयनिष्ठ और विनम्र बनाता है। यह हमें सभी कमजोरियों को दूर करके जीवन में आगे बढ़ना सिखाता है,खेल हमें निर्भीक और आत्म विश्वासी बनाता है,नेतृत्व क्षमता पुष्ट करता है,समग्र व्यक्तित्व का समुचित विकास करता है,खिलाड़ियों के अतिरिक्त दर्शक और रूचिकर लोगों को भी लाभान्वित करता है खेल। जीत और हार इसके सोपान हैं,अच्छा खेल प्रतिद्वन्द्वी का भी दिल जीतता है।अस्तु खेल का नैसर्गिक आनन्द अवसाद और निन्दा की अनुमति नहीं देता बल्कि जीत और हार सम्यक ग्राह्य की विषय वस्तु है। देश-दुनिया में क्रिकेट खेल के प्रति दीवानगी और लोकप्रियता अपने चरमोत्कर्ष पर है।लेकिन खेल के वास्तविक आनन्द से परे अब इस दीवानगी की विद्रूपता भी यत्र-तत्र परिलक्षित हो रही है,मसलन सट्टेबाजी से लेकर कलुषित आति...