।।मत भूलो जनाब यह भारत की मिट्टी है,तुम्हारी नापाक औकात बहुत सस्ती है ।।
खेल, नियमों द्वारा संचालित होने वाली एक प्रतियोगी श्रंखला है। ... सामान्यतः खेल को एक संगठित, प्रतिस्पर्धात्मक और प्रशिक्षित शारीरिक/मानसिक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जा सकता है,खेल हमें प्रतिबद्धता तथा निष्पक्षता सिखाता है,जीवन में अधिक अनुशासित, धैर्यवान, समयनिष्ठ और विनम्र बनाता है। यह हमें सभी कमजोरियों को दूर करके जीवन में आगे बढ़ना सिखाता है,खेल हमें निर्भीक और आत्म विश्वासी बनाता है,नेतृत्व क्षमता पुष्ट करता है,समग्र व्यक्तित्व का समुचित विकास करता है,खिलाड़ियों के अतिरिक्त दर्शक और रूचिकर लोगों को भी लाभान्वित करता है खेल।जीत और हार इसके सोपान हैं,अच्छा खेल प्रतिद्वन्द्वी का भी दिल जीतता है।अस्तु खेल का नैसर्गिक आनन्द अवसाद और निन्दा की अनुमति नहीं देता बल्कि जीत और हार सम्यक ग्राह्य की विषय वस्तु है।
देश-दुनिया में क्रिकेट खेल के प्रति दीवानगी और लोकप्रियता अपने चरमोत्कर्ष पर है।लेकिन खेल के वास्तविक आनन्द से परे अब इस दीवानगी की विद्रूपता भी यत्र-तत्र परिलक्षित हो रही है,मसलन सट्टेबाजी से लेकर कलुषित आतिशबाजी तक।हाल ही में संपन्न भारत-पाक क्रिकेट प्रतियोगिता ने एक नए अनापेक्षित उन्मादी कलेवर का परिचय दिया है,हद तो खुद पाक के नापाक इरादों पर आके ठिठक गई बेइज्जत हो गई,पाकिस्तान के गृहमंत्री ने न केवल संवैधानिक पद का जरा ख्याल रखा बल्कि खेल की मर्यादा को भी तार-तार कर दिया,पाक गृह मंत्री ने पाकिस्तान की जीत के बाद कहा कि "यह भारत और दुनिया भर के इस्लाम की जीत है. उन्होंने पाकिस्तान की टीम की तारीफ की लेकिन इसके साथ ही उन्होंने भारतीय मुसलमानों के प्रति बेतुका बयान भी दे डाला. उन्होंने कहा कि रविवार को हुए विश्व कप मैच के दौरान भारत के मुसलमान भी यही चाहते थे कि पाकिस्तान जीते उनके जज्बात भारतीय टीम के साथ नहीं बल्कि पाकिस्तान टीम के साथ थे." अपनी जीत की खुशी मनाना,मुबारकबाद देना बहुत अच्छी बात है,एक देश के तौर पर पाक का जश्न मनाना जायज है लेकिन उसे कौमी/मजहबी/सांप्रदायिक रंग देना नाजायज ही है।और फिर भारतीय मुसलमानों की ठेकेदारी करने का हक मियां राशिद तुमको किसने दिया?भारतीय मुसलमानों के मिजाज से तुम कितने वाकिफ हो?खुदा पाक से डरो मियां राशिद वर्ना भारतीय मुसलमान की तासीर तुम्हे नेस्तनाबूद करने के लिए काफी है।मजे की बात तो यह है कि "छोटे मियां तो छोटे मियां बड़े मियां सुभान अल्ला" वजीर -ऐ आजम पाकिस्तान जो कि खुद एक खिलाड़ी रह चुके हैं उनके भी उन्मादी दिमाग की गंदगी से दुनिया वाकिफ हुई।मत भूलो जनाब यह भारत है यहां की मिट्टी में ही वतन परस्ती है,तुम्हारी नापाक औकात बहुत सस्ती है।हां हम मानते हैं कि 'हरामी' एक सर्वव्यापी जमात है तो कुछ चंद यहां भी होना स्वाभाविक है,उनकी जज्बाती आतिशबाजी मुबारक हो मियां तुम्हे और संभालकर रखना।
उनकी आतिशबाजी से उतना आहत नहीं हुआ मन जितना महान मोहम्मद शमी के प्रति कुछ लोगों की बेरुखी से बेअदबी से।मोहम्मद शमी भारतीय क्रिकेट टीम के एक उम्दा खिलाड़ी हैं और उनके करतबों ने बहुत कमाल किया है न जाने कितने बार उनके वार उनके प्रहार ने प्रतिद्वन्द्वियों की धोती फाड़ रूमाल किया है।हमें अपने भारतीय खिलाड़ियों पर गर्व होना चाहिए,क्या जीत में क्या हार में हरदम उनके साथ खड़ा होना चाहिए!जीवन में असली वास्तविक जीत वह मायने रखती है जिन छोटी-छोटी चीजों को हम बहुत-बहुत तवज्जो देते रहे हों,जिनको पाने की लालसा लालची बना दे,जब उनसे ऊपर उठकर सोचने व समझने लगे,जब उपलब्धियां और प्राप्तियां इतराने न दें बल्कि वो हमें नहीं हम उनको सहेजने लगें,जब गर्वित सर सम्मान में झुकने लगे।
नरेन्द्र नाथ त्रिपाठी
बहुत सुंदर जवाब
ReplyDeleteधन्यवाद प्रेरणा के लिए आभार🙏
Deleteइमरान और राशिद के बयान सारे मुसल्लेईमान को तार तार कर दिए।।
ReplyDeleteजी दुरूस्त फरमाया।
Deleteखेल सिखाता है खेल भावना…एक दूसरे से मिल जुल कर रहना, प्रतिस्पर्धी का सन्मान करना, लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करना, जिजीविषा से आगे बढ़ना, सतत हार का सामना करने के बावजूद भी लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना और अपनी जद्दोजहद से प्रयासों से मंजिल को प्राप्त कर जीत के झंड़े गाड़ना! किंतु खेल को भावना के विपरीत राजनीति के कुछ हरामियों जैसा आपने उद्घृत किया अपने लेख में, सही चुनाव है विशेषण का। कुछ पीछे भी देख लेते कुछ आंकड़ों का अवलोकन कर लेते तो शायद प्रमुखों का जो बयान आया वो बचकाना से ज्यादा कुछ नही।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रतिक्रिया और जवाब जो कि समसामयिक प्रस्थितियों में हरामियों के लिए जवाब भी है और एक सवाल भी। हमारा देश हमारा गर्व है और उन कथित हरामियों की पनाहगाह भी तो जो करे सोच समझ कर।
आवश्यक संवाद/सारगर्भित व्याख्यान के लिए धन्यवाद,प्रेषणवाद 🙏
Deleteमैं आपके लेख से सहमत हूं।
ReplyDeleteआपकी सहमति न केवल हमारे लिए बल्कि खेल प्रेमियों के लिए और स्वदेश अनुरागियों के लिए मायने रखती है।
DeletePak ke chote miya Rashid aur bade miya Shubhan Alla vajir a aajam ke pas napak Mansoobo aur sharmnak Bayano ke siva kuch aur hi bhi to nhi kare kya
ReplyDeleteAgree with you
ReplyDelete