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Showing posts from June, 2022

तालिबानी कारनामों की कोशिश!

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'इस्लाम' और तालिबान विरोधाभासिक हैं,इस्लाम तालिबान की पहचान न बन पाया और तालिबान इस्लाम का अनुयायी हो न पाया।हां 'तालिबानी सोंच' एक जुमला जरूर बन गया गौरतलब यह है कि वही तालिबानी कारनामे आज सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में आज़माने की कोशिश की जा रही है। जरा सोचिए! जुम्मे की नमाज के बाद कमोबेश पूरे देश में लगभग चौदह राज्यों में व नब्बे जगहों पर एक साथ हिंसक प्रदर्शन आगजनी तोड़फोड़ व पथराव को अंजाम दिया जाना कोई संयोग तो हो नहीं सकता हां प्रयोग जरूर है,इसका मतलब यह है की कारनामे करवाए जा रहे हैं,अनावरण भी होगा चूंकि 'कागजी लिबाज में कोई खुद को बचाएगा कब तक,मौसम भी लिहाज करेगा कब तक,झमाझम बारिश बख्शेगी कतई नहीं।इंशाअल्ला नापाक मंसूबों को कामयाबी न मिली है और न मुमकिन है चूंकि वतन-ऐ हिंद की मिट्टी ही ऐसी है जो नापाक मंसूबों को खाक कर देती है,भारत केवल भू भाग नहीं वरन यहां के निवासियों के लिए मां है भारत मां है,जीवित संरचना है,स्पन्दित आराधना है पूजनीय अर्चना है।यहां सकल भारतीयों में मौलिकता यह है कि सभी के मूल में भारतीयता है।सभी मिलकर एक सुर एक आवाज में क...

आरक्षण!का स्वरूप

आरक्षण! आरक्षण का राजनीति प्रेरित वर्तमान स्वरूप तमाम विसंगतियों का कारक है और प्रतिभाओं का भक्षक सिद्ध हो रहा है परिणामस्वरूप तमाम योजनाओं के चलते हमारा देश अपेक्षित विकास पैमाने में कहीं नजर नही आ रहा है कम से कम योजनाओं की लागत के अनुसार तो कतई नही निश्चित रूप से यह आरक्षण रूपी महामारी राष्ट्रीय एकता,विकास और सद्भाव के लिए आत्महंता की अप्रिय इबारत लिख रही है,गैर आरक्षित श्रेणी में आक्रोश जन्मना स्वाभाविक है जोकि भावी भारत के लिए अशुभ है जरा सोचिए आरक्षण के लाभार्थी योग्यता के अभाव में भला कैसे अपनी जिम्मेवारियों का निर्वाहन कर सकते ?और प्रताड़ित योग्यता कहां अपना दम तोड़ेगी? यह बात राष्ट्रहित में आरक्षित श्रेणियों को सोचनी चाहिए मतलब व्याप्त विसंगतियों वो स्वयं को चाहकर भी अलग नही कर सकते @                                    आरक्षण ! आरक्षण! आरक्षण!  हम स्वयं से और तमाम सर्वणों से मिलकर यह जानने का प्रयास किए कि क्या कभी हमारे बाप -दादा इतने सक्षम और बाहुबली थे ?कि तथाकथित गैर सर्वणों का शोषण...