आरक्षण!का स्वरूप

आरक्षण! आरक्षण का राजनीति प्रेरित वर्तमान स्वरूप तमाम विसंगतियों का कारक है और प्रतिभाओं का भक्षक सिद्ध हो रहा है परिणामस्वरूप तमाम योजनाओं के चलते हमारा देश अपेक्षित विकास पैमाने में कहीं नजर नही आ रहा है कम से कम योजनाओं की लागत के अनुसार तो कतई नही निश्चित रूप से यह आरक्षण रूपी महामारी राष्ट्रीय एकता,विकास और सद्भाव के लिए आत्महंता की अप्रिय इबारत लिख रही है,गैर आरक्षित श्रेणी में आक्रोश जन्मना स्वाभाविक है जोकि भावी भारत के लिए अशुभ है जरा सोचिए आरक्षण के लाभार्थी योग्यता के अभाव में भला कैसे अपनी जिम्मेवारियों का निर्वाहन कर सकते ?और प्रताड़ित योग्यता कहां अपना दम तोड़ेगी? यह बात राष्ट्रहित में आरक्षित श्रेणियों को सोचनी चाहिए मतलब व्याप्त विसंगतियों वो स्वयं को चाहकर भी अलग नही कर सकते @
                                   आरक्षण ! आरक्षण! आरक्षण! 
हम स्वयं से और तमाम सर्वणों से मिलकर यह जानने का प्रयास किए कि क्या कभी हमारे बाप -दादा इतने सक्षम और बाहुबली थे ?कि तथाकथित गैर सर्वणों का शोषण कर सके हों उन्हे अपेक्षित विकास से जबरन दूर रख सके हों ?अपवाद छोड़कर --------------------------------
वहीं गैर सर्वण भी शोषण की पुष्टि न कर सके बल्कि बहुतायत संख्या में इन्ही गैर सर्वणों ने समय -समय पर सर्वणों के द्वारा अप्रत्याशित मदद को सहर्ष स्वीकारा ।
                    हम मानते हैं जन्मना जायते न शूद्रते ।मतलब जातीय भेद के कतई समर्थक नही हैं लेकिन उसकी आड़ में तुच्छ मानसिक राजनैतिक प्रसाद बनाम आरक्षण के सर्मथक भी नहीं ।
              यदि भारत के समग्र विकास के लिए आरक्षण आवश्यक ही है तो जातीय आधार पर नहीं वरन पात्रता आधारित होना चाहिए ।फिर जाति ,सम्प्रदाय और धर्म से परे गर कुछ देखा जाय तो केवल और केवल जरूरतमंद भारतीय।
                    ऐसे भावी भव्य भारत में सजक,सर्मथ ,समृद्ध ,योग्य भारतीय होगें जो विसंगतियों को समूल नष्ट कर सकेगें।
                                                                                         ।।विश्लेषणार्थ ।।
                                                                                       नरेन्द्र नाथ त्रिपाठी

Comments

Popular posts from this blog

'कट्टरता आत्मघाती है ?'

'प्रार्थना'

करूणा