जल का कल,जल-कल में
बचपन में पढ़ाया गया सुनाया गया "मछ्ली का जीवन पानी है"बात सही भी है पानी से बाहर मछ्ली के जीवन का अस्तित्व संभव नहीं है, लेकिन सच तो यह है कि पानी प्राणि मात्र की परम आवश्यकता है मय वनस्पति|रहीम जी ने कहा कि"बिन पानी सब सून",हमारे पुराणों और धर्म ग्रंथों में जल देव रुप है,पंच तत्वों में एक है, सारगर्भित यह है कि पानी है तो जीवन है|
पानी के अभाव की क्षणिक कल्पना मात्र का आभास झकझोर देगा हमको, प्रकृति प्रदत्त जीवन तत्व अधिकार से परे हैं लेकिन दुर्भाग्यवश प्राणी श्रेष्ठ मानव इन्हीं पर दावा करने की नादानी कर रहा है, प्राकृतिक अमूल्य उपहारों के प्रति कर्तव्य का भान न होना विसंगतियों का आमंत्रण सरीखा है|बात अगर जीवन दायक जल की करें तो तो अब हम जल-क्रीड़ा नहीं बल्कि जल से क्रीड़ा कर रहे हैं मतलब जीवन दायक जल से मानव जाति खेल रही है,दोहन कर रही है अधिकार के भ्रम में|जबकि प्रकृति प्रदत्त जीवन हेतु उपहारों के सदुपयोग में संकोच और दुरुपयोग में लज्जा आनी चाहिए|
जल का कल जल-कल में निहित है, नदियों में है,तालाब-पोखरों में है जल संचय में है|धन संचय से अधिक चिंता जल संचय की होनी चाहिए, अपव्यय पर अंकुश समयाग्रहीत है| जल प्रदूषण भी गहरी चिंता का विषय है"एक तो नीम ऊपर से करैला"मतलब एक तो जल संकट की भयावह स्थिति ऊपर से जल का प्रदूषित होना और पेयजल में जलीय जीवन पोषक आवश्यक तत्वों की कमी, अध्ययन और समाधान की विषयवस्तु है|उक्त उल्लेखित समस्याओं के संबंध में कार्यरत संस्थाओं के आंकड़े अप्रिय ही नहीं आहत करने वाले हैं|अस्तु जल संकट और जल प्रदूषण पर आवश्यक जन जागरूकता आग्रह की विषयवस्तु ही नहीं हमारी नैतिक जिम्मेवारी और सरकारों का धर्म भी है|
सबका शुभेच्छु
नरेन्द्र 🙏
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