राष्ट्रीय दल के राष्ट्रीय जीवन पर प्रश्न ?
गांव -मोहल्ले-कस्बे,कालोनी मतलब समाज में यत्र-तत्र औपचारिक-अनौपचारिक रिश्ते -नातों का ताना-बाना और आतिथ्य भाव ही हमारी पहचान है। चूंकि मतैक्यता और मतभेदता मानवीय जीवन के ही घटक है अस्तु सामाजिकता इन्हें सहर्ष स्वीकार करती है,और सरोकारित जीवन में मतभेदता सदैव सम्मानीय विषय -वस्तु है,वास्तव में यही समाज और राष्ट्र निर्माण की कुल जमा पूंजी है।
राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में मतभेद अमूल्य निधि सरीखी है और जनतंत्र की पोषक भी,सामाजिक जीवन से बड़ा राष्ट्रीय जीवन है,इस नाते से राजनैतिक सभी दल राष्ट्रीय चरित्र की बानगी हैं और सरोकारित सक्रिय क्रिया-कलाप सार्वजनिक स्वमेव हो जाते हैं।
सोचनीय यह है कि अंतर्राष्ट्रीय आतिथ्य में आयोजित भोज में राष्ट्रीय दल कांग्रेस ने आमंत्रण का तिरस्कार क्यों किया? क्या कांग्रेस एक राजनैतिक दल के रूप में स्वयं को सार्वजनिक न मानकर व्यक्तिगत मानती है? क्या कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व यह नहीं समझता कि अंतर्राष्ट्रीय फलक पर इस अनापेक्षित तिरस्कार का संदेश कितना दूरगामी है,यद्यपि नहीं समझता तो क्यों नहीं समझता? उल्लेखनीय कि भारत सरकार के आमंत्रण पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आगमन पर राष्ट्रीय चरित्र के अनुरूप राष्ट्रपति भवन में आयोजित आतिथ्य भाव स्वरुप प्रीति भोज में राष्ट्रीय दल कांग्रेस की आमंत्रणोपरांत अनुपस्थिति उसके राष्ट्रीय जीवन पर प्रश्न है। गौरतलब है संवैधानिक संस्कृति के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा विदेशी मेहमानों के स्वागत में प्रीति भोज का आयोजन किया जाता है और राजनैतिक दलों के अध्यक्षों को न बुलाकर उनके प्रतिनिधियों और शीर्ष नेताओं को आमंत्रित करने की परंपरा है।
नरेन्द्र नाथ त्रिपाठी
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