#करोना बनाम #चाइनीज वायरस और संकल्पित भारत

यह करोना बनाम चाइनीज वायरस जैविक अघोषित युद्ध है चीन द्वारा इस बात का मानना उतना जरूरी नही जितना समझना।यह महामारी का दौर युद्धकाल है,इस लडाई में चिकित्सा से जरूरी सुरक्षा है।और इस सुरक्षा में प्रत्येक देशवासी स्वयं सिपाही है योद्धा है।दुश्मन हमारा अमूर्त और मजबूत है,देश-दुनिया मे मची तबाही इसका सबूत है।निश्चित रूप से जान-माल को नुकसान के मंसूबे में उसने जान जोखिम में डालकर औसत दर्जे के माल का विश्वव्यापी नुकसान कर दिया है स्वयं के लाभ की रणनीति के साथ।हालाकि उपमा विहीन रचा भारत को विधाता ने भारत के सम केवल भारत है,हम हारने वाले नहीं बल्कि हौंसले को हथियार बनाकर इतिहास रचने वाले हैं,लेकिन इस समय जरा सी लापरवाही की कीमत बहुत भारी होगी।मतलब हमें हमारे सुरक्षा कवच को किसी कीमत पर टूटने नहीं  देना है हमें #lockdown को डाउन नहीं होने देना है।
               लेकिन गैर जरूरी आवागमन और विचरण न रुका तो हम भले ही न हारें लेकिन दुश्मन जीत सकता है।इसलिए जनहित में राष्ट्र हित में जारी दिशा-निर्देशों के प्रति संकल्पों को हमें युद्ध जीतने तक प्रतिपल याद रखना है यह समय है मातृभूमि के लिए चलने का नहीं वरन रूकने का ठहरने का,जागरूक होने का और जागरूक करने का।एक-दूसरे के प्रति विविध आयामों से काम आने का ज़रूरतों को पूरा करने का समय है।हम अपने गौरवान्वित इतिहास को याद करके प्राणाहुतियों का ध्यान करके निजी स्वार्थों की तिलांजलि से न केवल यह युद्ध जीत सकते हैं बल्कि वैश्विक स्तर पर नए भारत की नयी बुलंदी का आगाज भी कर सकते हैं।सावधानी यह रखनी है कि तमाम ज़रूरतों की प्रतिपूर्ति में कहीं मूल उद्देश्य नजरअंदाज न हो जाए,खतरे के भय और सुविधाओं की चाहत से उपजे पलायन को रोकना बड़ी चुनौती सिद्ध हो सकती है,दुर्भाग्यवश जाने-अनजाने यदि हम करोना नहीं पलायन केन्द्रित हो गए तो तमाम कोशिशों  पर पानी फेरना जैसा है।चीनी कम्यूनिस्टता जग जाहिर है वह सदा पोषक की भूमिका में रहा है ऐसे में भारत भूमि पर निवास करने वाले कुछ तथाकथित भारतीय लेकिन आचार-विचार से कम्यूनिस्ट जब चीन के सुर में सुर मिला लें तो खतरे का प्रभावी होना स्वाभाविक है,ये आस्तीन के सांप राजनैतिक बिरादरी से मीडिया से कलाकार क्षेत्र से या दार्शनिक,इतिहासकार या लेखक भी हो सकते हैं।इसलिए इनको मात देते हुए संकटकाल में एक रोटी को आपस मैं बांटकर तन्मयी साधना से सीमित संसाधनों में विश्व बिरादरी को बता सकते हैं कि हम ॠषि -मुनियों और महापुरुषों के वंशज हैं,दुश्मन को जता सकते हैं कि सक्षम तुम हो अक्षम हम भी नहीं।
                                        आपका ही
                                नरेन्द्र रेन्द्र नाथ त्रिपाठी

Comments

  1. बढ़िया भैया जी बहुत ही सारगर्भित और आभार व्यक्त करने और आभारी रहने के साथ विचारों की भावना को पूर्णता व्यक्त करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

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    1. जनहित में राष्ट्रहित में प्रेरक पठनीय विषय सामग्री प्रेषित करना साझा करना राष्ट्र धर्म सरीखा है। साधुवाद के अधिकारी हैं आप🙏🇮🇳🙏

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    2. जनहित में राष्ट्रहित में प्रेरक पठनीय विषय सामग्री प्रेषित करना साझा करना राष्ट्र धर्म सरीखा है। साधुवाद के अधिकारी हैं आप🙏🇮🇳🙏

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  2. अत्यंत प्रेरणादायी और आँखे खोलने वाला लेख l आपको जय हिन्द 🙏

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    1. प्रेरक टिप्पणी हेतु धन्यवाद 🙏

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