लॉकडाउन निहितार्थ और भव्य भारत

सामान्य बोलचाल की भाषा में लॉकडाउन का अर्थ तालाबंदी है,यह आपातकालीन व्यवस्था होती है,मतलब आपदा और संकटकाल में जनसुरक्षा और जनहित को ध्यान में रखते हुए स्थानीय प्रशासन और सरकारों द्वारा लागू किया जाता है।इस दौरान लोगों को निर्देशित किया जाता है कि वो अपने घरों पर ही रहें सुरक्षाबलों से शासनादेश पालन सुनिश्चित किया जाता है और निवासियों से अपेक्षा की जाती है दिशा-निर्देशों के पालन की जीवनोपयोगी आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के लिए अनुमति ली जाती है। अमेरिका में 09/11 आतंकी हमले के बाद तीन दिन का लॉकडाउन किया गया था,दिस 2005 में न्यू साउथ वेल्स पुलिस द्वारा दंगा रोकने के लिए लॉकडाउन किया गया था, बोस्टन शहर में आतंकियों की खोज के लिए अप्रैल 2013 को लॉकडाउन किया गया था, नवंबर 2015 में पैरिस हमले के बाद संदिग्धों को हिरासत में लेने के लिए और 2015 में ब्रुसेल्स में पूरे शहर को लॉकडाउन किया गया था।
         चीन के वुहान से देश-दुनिया की यात्रा पर निकले जानलेवा कोरोनावायरस के खतरे को कम से कम करने के लिए देश भारत में आवश्यक विचार-विमर्श के बाद 21 दिनों का लॉकडाउन सुनिश्चित किया गया जोकि 130 करोड़ आबादी वाले भारत जैैेसे बड़े देश के लिए बहुत बड़ा कदम था पूरी दुनिया भारत के इस लॉकडाउन की सफलता को देख रही है। जानना जरूरी है कि 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' की घोर लापरवाही से संक्रमण की महामारी कोरोनावायरस की वैश्विक यात्रा को सुगम बनाने की कोई कसर नहीं छोड़ी गई,आशय यह है कि यदि 'डब्लूएच‌‌ओ' चीनी दबाव में न आकर सही समय पर इसे महामारी घोषित करता आवश्यक दिशा-निर्देशों के साथ तो भयावह त्रासदी से बचा जा सकता था या फिर विश्व स्तरीय नुकसान को न्यूनतम जरूर किया जा सकता था।संक्षेप में इसे चीन की कुटिल चाल और 'डब्लूएच‌‌ओ' की संदिग्ध भूमिका को विश्व स्तरीय कूटनीति/राजनीति का हिस्सा समझा जा सकता है।
           लॉकडाउन की  महत्ता और मात्र विकल्प को भारत के कुशल नेतृत्व ने समझने में जरा देरी नहीं की,चूंकि बीमारी संक्रमण से और संक्रमण न केवल स्पर्श से बल्कि एक-दूसरे से एक परिधि पर प्रभावी है,अस्तु एक-दूसरे से निश्चित सामाजिक दूरी,मुंह -नाक को ढकने की और स्वच्छता की अपील के साथ लॉकडाउन को लागू किया गया।इस सामाजिक साधना को भारत में तन्मयता से स्वीकार भी किया जा रहा है लेकिन आंतरिक खतरे,आस्तीन के सांप विषबेल रुपी जाहिल जमात ने लॉकडाउन को बल भर छलकर सुरक्षा कवच को तोड़ने की कलुषित कोशिश में आंशिक सफलता से भारतवासियों को सोचने के लिए विवश कर दिया,कौमी गतिविधियों की प्रासंगिकता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया और एक अनुुुुुुुुत्तरित प्रश्न 'क्या कोई मजहब लॉकडाउन न मानने की अनुमति देता है? को देश दुनिया के लिए छोड़ दिया है। इस दुस्साहस में बीमारी/मौत बांंट रहे नापाक मंसूबों और सरपरस्तों पर पैनी नजर मय इलाज सरकारों की संवैधानिक जिम्मेवारी है राष्ट्रहित में आवश्यक जाारुकता सभी भारतवासियों की नैतिक जिम्मेवारी चुनौती सरीखी है।एक तरफ लॉकडाउन से तमाम समस्याओं का आना स्वाभाविक है,मसलन रोजी-रोटी,व्यवसाय, उद्यम और नौकरी-चाकरी सहित आर्थिक संकट इत्यादि मतलब नुकसान के आंकड़े दशकों पीछे ले जा सकते हैं लेकिन वहीं दूसरी ओर अव्यवस्थित जीवन शैली में सुधार, का अवसर,वातावरण की शुद्धता,और सबसे बड़ी बात आंतरिक शत्रु मंडली आस्तीन के सांपों का प्रत्यक्ष बिलबिलाना,प्रत्यक्ष लाभ हैं।
        भारत के यशस्वी, दूरदर्शी नेतृत्व ने विविध‌ आयामों से जन-गण-मन को न केवल संघे शक्ति का अहसास कराया वरन मुश्किल दौर में साहस,संयम से परिपूर्ण वैदिक संस्कृति का वैश्विक संदेश भी दिया है। गर्व है सकल भारतीयों को जानलेवा कोरोना व उसके रिश्तेदार जाहिल जमाती भारतीय मनोबल को तोड़ना तो दूर हिला तक नहीं पाए।विश्व व्यापी उद्घघोष के साथ कोरोना युद्ध में भारत विजय तो सुनिश्चित है लेकिन "सर्वे भवन्तु सुखिन:" और "वसुधैव कुटुंबकम् का पोषक भारत महान संकटग्रस्त विश्व के सभी देशों की यथाांभव मदत के साथ विजय की कामना और प्रार्थना करता है।
           ‌ शुभेच्छु
   सकल भारत 🙏🇮🇳🙏

Comments

  1. आपके द्वारा रेखांकित w.h.o.एवं तबलीगी जमात की संदिग्ध भूमिका पर ध्यानाकर्षण की आवश्यकता है।

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    1. धन्यवाद 🙏🇮🇳🙏अध्ययन कलम की सार्थकता सिद्ध करता है।

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  2. भारत एक विशाल देश है और संस्कृति की वैविध्यता इसकी विशालता में ध्वजा का काम करती है इतर इसके हमारे मनीषी सरीखे प्रधान सेवक का आवाहन लॉक्डाउन के परिप्रेक्ष्य में ,हमारी विषमताओ और विविधताओं के बाद भी हमारी भारतीयता के समुच्चय का परिचायक रहा है । वैश्विक पटल पर हमने जो हस्ताक्षर किया वह हमें कालखंड में अग्रणी पायदानों पर स्थापित करता है । जब इटली फ़्रान्स , अमेरिका जैसे देश एक विषाणु के आगे हतप्राय थे तब हमने उदाहरण स्थापित किया ।

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  3. भारत एक विशाल देश है और संस्कृति की वैविध्यता इसकी विशालता में ध्वजा का काम करती है इतर इसके हमारे मनीषी सरीखे प्रधान सेवक का आवाहन लॉक्डाउन के परिप्रेक्ष्य में ,हमारी विषमताओ और विविधताओं के बाद भी हमारी भारतीयता के समुच्चय का परिचायक रहा है । वैश्विक पटल पर हमने जो हस्ताक्षर किया वह हमें कालखंड में अग्रणी पायदानों पर स्थापित करता है । जब इटली फ़्रान्स , अमेरिका जैसे देश एक विषाणु के आगे हतप्राय थे तब हमने उदाहरण स्थापित किया ।

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