आधी आबादी के प्रति पूरी आबादी को सादर समर्पित।
दुर्भाग्य से आज भी माहवारी(एम सी)शब्द हया और अपवित्रता से जोड़ा जाता है जबकि माहवारी शर्म नही सेहत की बात है अपवित्रता नहीं वजूद की बात है भला वजूद का मूल कारक अपवित्र कैसे हो सकता है?जीवन की हेतु जन्मदात्री मां के मातृत्व का पहला सोपान भावी मां होती है,अस्तु मासिक धर्म ही प्राकृतिक धर्म है भावी खुशियों और समाज की निरन्तरता को बनाए रखने के लिए ।जरा सोंचिए!बहन -बेटी में मासिक धर्म की निरन्तरता में बाधा क्या स्वास्थ्य और चिंता का विषय नहीं है ?हम न भूलें यह शारीरिक विकास और परिवर्तन की दैवीय प्रक्रिया है तो फिर यक्ष प्रश्न यह है कि फिर इसको शर्म-झिझक और अपवित्रता का विषय बनाना कितना तार्किक है?कितना न्यायसंगत है?जबकि धर्म स्वयं में पवित्रता का बोधक है।सैनेटरी पैड की खरीददारी आज भी संकोचित और संकुचित है।जरा सोचिए स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक खरीद पर कैसी विडंबना है!कितना चिंतनीय विषय है?आज भी पैड की खरीददारी का प्रतिशत बहुत कम है जरूरत है नजरिए में बदलाव की गरिमामय स्वीकृत की।बच्चों से खुलकर बातें करें और उनको जागरूक करें।बेटियां जब पहली बार इस धर्म का पालन करे तो उनमें आत्मविश्वास हो न कि घबराए और कोई भी बेटा किसी बहन -बेटी का उपहास न उड़ाए,कुदरती व्यवस्था का स्वागत होना चाहिए सम्मान होना चाहिए न कि अपमान और उपहास। हमारी अन्य नित्यक्रियाओं की तरह इस निरन्तर प्रक्रिया को भी आवश्यक गोपनियता और मर्यादा सहित सादर स्वीकार किया जाए। 🙏 #मासिक धर्म🙏
Best
ReplyDeleteआधी आबादी के प्रति मानवीय दृष्टिकोण से पूरी आबादी को प्रतिबद्धता का एहसास कराने वाले इस महत्वपूर्ण लेख के द्वारा आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के शुभ अवसर को परिभाषित करने के लिए आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeleteBahut badiya
ReplyDeleteAtyanth Subh chintak vishay Mahila Sashaktikaran ka, koti koti Dhanyawad Sadar Naman
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